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"Ganesh Aarti | श्री गणेश आरती - Wisdom & Blessings" श्री गणेश जी: विघ्नों का नाशक और बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक के नाम से जाना जाता है। वे प्रथम पूज्य देवता हैं, जिनकी पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक में अंकुश, दूसरे में पाश, तीसरे में मोदक और चौथा आशीर्वाद मुद्रा में होता है। गणेश जी का सिर हाथी का है और वाहन मूषक (चूहा), जो यह दर्शाता है कि वे अहंकार को नियंत्रण में रखने वाले देव हैं। उनकी आरती "जय गणेश देवा" हर मंदिर और घर में गूंजती है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व उनके जन्मदिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन गणेश जी को प्रसन्न कर जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति पाई जा सकती है। गणपति बप्पा मोरया! मंगल मूर्ति मोरया! जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ एकदन्त, दयावन्त, चार भुजाधारी माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ हार चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ दीनन की लाज रखो, शंभु सुतवारी कामना को पूर्ण करो, जय बलिहारी ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ |
गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024
"Ganesh Aarti | श्री गणेश आरती - Wisdom & Blessings"
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